पिछले कुछ महीने से भारत-चीन सीमा पर तनाव बना हुआ था। दोनों देश की सेना आमने- सामने स्टैण्ड अप की स्थिति में थी। तनाव को कम करने के लिए 6 जून 2020 की दोनों देशों की सेनाओं के बीच कमांडर लेवल को बात हुए और दोनों देश एक दूसरे पर भरोसा दिखाते हुए अपने सैनिक को धीरे- धीरे पीछे करना शुरु कर दिया था। 



 

लेकिन 15/16 जून 2020 रात को जो भी हुए वह बहुत ही दुखद था। भारत और चीन के सेनाओं के बीच लद्दाख के गलवान वैली में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) हिंसक झड़प हुई। जिसमें भारत के 20 जबाज सैनिक देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़ते - लड़ते वीर गति को प्राप्त हो गए। भारतीय मिडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन के भी 43 या तो मारे गए हैं या फिर घायल हुए हैं।


15 जून की रात की पूरी घटना


 आप को बता दें यह पूरी घटना पूर्वी लद्दाख के गलवान घटी में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर हुआ है। वास्तव में यहां पर चीनी सैनिकों ने एक टेंट बना रखा था। कुछ हफ्ते पहले 6 जून जो दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत हुई थी उसमें यह तय  किया गया के भारत और चीन दोनों देशों की सेना पीछे हटेंगे। उसके हिसाब से चाइना को अपना टेंट यहां से हटाना था और पीछे हटना था। भारत की तरफ से एक टीम भेजी गई जिसमें कर्नल संतोष बाबू थे उसके अलावा कुछ और सैनिक थे। जिनका काम यहां पर यह था कि वह निश्चित करें कि चीनी सैनिक पीछे हट रही है या नहीं।




 अब गलवान घाटी में क्या हुआ है, रिपोर्ट के मुताबिक जैसे ही भारतीय सैनिक यहां पहुंचे वैसे ही चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया। यहां पर चीनी सैनिकों पहले से ही हमले के लिए तैयारी बैठी थी । पहली प्रोवोकेशन चीन की तरफ से हुई है। भारतीय सैनिक के पहुंचते ही चीन के सैनिकों ने उनके ऊपर मैटल रोड से उसके अलावा वार्ड बायर  बैट से हमला करना शुरू कर दिया। 


जैसे ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच आरंभिक झड़प शुरू हुआ वैसे ही दोनों साइड के सैनिक ने अपने बेस कैंप में सिंगल भेजा और एनफोर्समेंट की मांग की। बहुत ही जल्द गलवान घाटी के आसपास भारतीय और चीनी सैनिक आते रहे। जिससे 15 जून 2020 की रात को बहुत से सैनिकों के बीच में गलवान घटी में हिंसक झड़प हुई। खड़प में भारत की तरफ से 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए। जिसमे एक कर्नल और बाकी सैनिक थे। चीन के भी 43 सैनिक मारे गए हैं लेकिन चीन मौत के आंकड़े को दिखा नहीं रहा है।



1975 के बाद पहली बार भारत-चीन सीमा पर किसी सैनिक की मौत हुई है। यह घटना भारत-चीन के संबंध को कर देगा  पूर्णतया बदल के रख देगा। दुनिया भर में इस घटना को कवर किया गया। बहुत से देश ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी।

 

भारत में तो काफी पारदर्शिता है और जैसे ही आर्मी के हेड क्वार्टर्स में सैनिकों के मारे जाने का डाटा कंफर्म हुआ वैसे ही देश के लोगों को बताया दिया गया कि कितनी सैनिकों की कैजुअल्टीज हुई है। मगर चाइना की तरफ से अभी तक कोई भी सैनिकों ने मारे जाने की रिपोर्ट को देश के सामने साझा नहीं किया गया है। उल्टा चाइना की तरफ से जो उनका माउथपीक है वह यह भी कह रहा है कि चाइना अपनी कैजुअल्टी की इंफॉर्मेशन पब्लिक नहीं करेगा ।


प्रश्न यहां पर यह खड़ा होता है कि कितने चीनी सैनिक मरे होंगे और चीन इन फिगर को छुपा भी क्यों रहा है। अगर आप देखो गे ग्लोबल टाइम्स के जो editor-in-chief है Hu Xijin इनकी ट्वीटर पर कॉमेंट देखें तो यह कह रहे हैं चीन की तरफ से अपने नंबर रिलीज नहीं किया जा रहा हैं क्योंकि चीन नहीं चाहता है की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तुलना भारतीय सैनिकों के साथ हो। अगर ऐसा किया जाएगा तो इससे चीन की जनता में भारत के प्रति गुस्सा और ज्यादा बढ़ सकता हैं। आगे यह कहते हैं यह बीजिंग का गुडविल है।


चीन की ये पुरानी आदत है जब भी किसी झड़प होता है और चीनी सैनिक का ज्यादा नुकसान होता है तो चीन कभी भी सैनिकों की कैजुअल्टी की आंकड़े को प्रदर्शित नहीं करता है।    आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि जो 1962 के भारत चीन की लड़ाई में चीन की कितनी कैजुअल्टी थी उसके बारे में चीन 1992-93 में डाटा रिलीज किया था। 


 इसके अलावा अभी तक हमको यह नहीं पता कि 1967 में नाथुला तथा चो ला में भारत- चीन के बीच जो झड़प हुई थी उसमें चीन के कितने सैनिक मारे गए थे। मगर इंडियन डिफेंस मिनिस्ट्री के हिसाब से भारत की तरफ से 88 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए और चाइना की तरफ से 340 सैनिक मरे थे। इस डाटा को लेकर चाइना की अभी तक कोई कमेंट नहीं आई है। चीन इसको न तो एक्सेप्ट किया है ना ही मना किया है। तो चीन का इतिहास रहा है कि कभी भी अस्पष्ट आंकड़ा प्रदर्शित नहीं करता है।15 जून 2020 के ही झडप को देख लीजिए 43 सैनिक मारे गए हैं लेकिन चीन इसे मैंने को तैयार ही नहीं है।




इस घटना के बाद 19 जून 2020 को चीन के विदेश मत्रालय के द्वारा के बयान आया जिसमे यह दावा किया कि गलवाना घटी उनका हिस्सा है। इस बयान को भारत के विदेश मत्रालय द्वारा प्रभावी तौर ख़ारिज कर दिया और कहा कि इसका कोई ऐतिहािक प्रमाण नहीं है कि गलवाना घटी चीन का हिस्सा है।

 

इस घटना पर भारत की प्रतिक्रिया क्या रही है


भारत की प्रतिक्रिया एक दम साफ़ रहा है और भारत ने खुले तौर पर कह दिया है कि भारत अपनी समप्रभूता की रक्षा करना जानता है। 20 जवानों शहीद होने का बदला भारत जरूर लेगा। 15 जून में झड़प के बाद भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की फोन पर बात हुए । जिनमें चीन में झड़प के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। इस पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ़ कह दिया को चीन के सैनिकों के द्वारा ही झड़प शुरु किया गया था और चीन में 1996 तथा 2005 हुए समझोते को भी तोड़ा है।

 

यह सब को देख कर भारत सरकार ने अपने सैनिकों को आपातकाल शक्तियों भी प्रदान कर दी और तीनों सेनाओं को सदैव तत्पर रहते को कहा है। भारत एक कड़ा कदम उड़ाते हुए फाइटर प्लेन को चीन सीमा के आस पास तैनात कर दिया है। भारत सरकार का बयान है कि भारत किसी प्रकार की लड़ाई नहीं चाहता है और यदि बातचित से मामला शांत होता है तो 

भारत सदैव आगे रहेगा ।लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि भारत कमजोर है।भारत अपने संप्रभुता की रक्षा करना जानता है।


इस घटना के बाद हो सकता है कि भारत अपने विदेश नीतियों में बहुत से महत्वपर्ण बदलाव लाए जैसे के हांगकांग पॉलिसी, वन चाइना पॉलिसी, ताइवान पॉलिसी यह देखिए देखते हैं कि भारत सरकार चीन को  शौक़ सीखने के लिए क्या क्या कड़े कदम उठाता है। भारत की जनता में तो बहुत आक्रोश है वो चीनी सामानों का बॉयकॉट कर रहे हैं।


 फाइनली हमारे यहां यह समझा जाए कि चीन एक बहुत बड़ा थ्रेट है और यदि चीन को भारत गंभीरता से नहीं लेंगे तो भविष्य में ऐसे घटनाओं देखने को मिल सकता है। 


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